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त्वामामनन्ति मुनयः परमं पुमांस- मादित्य-वर्णममलं तमसः पुरस्तात्

त्वामामनन्ति मुनयः परमं पुमांस- मादित्य-वर्णममलं तमसः पुरस्तात्| त्वामेव सम्यगुपलभ्य जयन्ति मृत्युं नान्यः शिव:
शिवपदस्य मुनीन्द्र पन्थाः |

अर्थात् :
हे मुनीन्द्र! तपस्वीजन आपको सूर्य की तरह तेजस्वी निर्मल और मोहान्धकार से परे रहने वाले परम पुरुष मानते हैं | वे
आपको ही अच्छी तरह से प्राप्त कर म्रत्यु को जीतते हैं | इसके सिवाय मोक्षपद का दूसरा अच्छा रास्ता नहीं है |

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हिन्दू देवी देवताओं के नाम और काम

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अष्टादश पुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम् | परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् || अर्थात् : महर्षि वेदव्यास जी ने अठारह पुराणों में दो विशिष्ट बातें कही हैं | पहली –परोपकार करना प...