रक्तेक्षणं समद-कोकिल-कण्ठ-नीलं क्रोधोद्धतं फणिनमुत्फणमापतन्तम्| आक्रामति क्रम-युगेण निरस्त-शखं- स्त्वन्नाम-नाग-दमनी ह्रदि
यस्य पुंसः!
अर्थात् :
जिस पुरुष के ह्रदय में नामरुपी-नागदौन नामक औषध मौजूद है, वह पुरुष लाल लाल आँखो वाले, मदयुक्त कोयल के कण्ठ की
तरह काले, क्रोध से उद्धत और ऊपर को फण उठाये हुए, सामने आते हुए सर्प को निश्शंक होकर दोनों पैरो से लाँघ जाता है|
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