उच्चैरशोक-तरु-संश्रितमुन्मयूख- माभाति रुपममलं भवतो नितान्तम्| स्पष्टोल्लसत्किरणमस्त-तमो-वितानं बिम्बं रवेरिव
पयोधर-पाश्र्र्ववर्ति |
अर्थात् :
ऊँचे अशोक वृक्ष के नीचे स्थित, उन्नत किरणों वाला, आपका उज्ज्वल रुप जो स्पष्ट रुप से शोभायमान किरणों से युक्त है,
अंधकार समूह के नाशक, मेघों के निकट स्थित सूर्य बिम्ब की तरह अत्यन्त शोभित होता है |
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