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भिन्नेभ-कुम्भ-गलदुज्ज्वल-शोणिताक्त- मुक्ता-फल-प्रकर-भूषित-भूमि-भागः

भिन्नेभ-कुम्भ-गलदुज्ज्वल-शोणिताक्त- मुक्ता-फल-प्रकर-भूषित-भूमि-भागः| बद्ध-क्रमः क्रम-गतं हरिणाधिऽपोपि नाक्रामति
क्रम-युगाचल-संश्रितं ते|

अर्थात् :
सिंह, जिसने हाथी का गण्डस्थल विदीर्ण कर, गिरते हुए उज्ज्वल तथा रक्तमिश्रित गजमुक्ताओं से पृथ्वी तल को विभूषित कर
दिया है तथा जो छलांग मारने के लिये तैयार है वह भी अपने पैरों के पास आये हुए ऐसे पुरुष पर आक्रमण नहीं करता जिसने
आपके चरण युगल रुप पर्वत का आश्रय ले रखा है|

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