अम्भोनिधौक्षुभित-भीषण-नक्र-चक्र- पाठीन-पीठ-भय-दोल्वण-वाडवाग्नौ| रंगतरंग-शिखर-स्थित-यान-पात्रास्- त्रासं विहाय भवतः
स्मरणाद् व्रजन्ति |
अर्थात् :
क्षोभ को प्राप्त भयंकर मगरमच्छों के समूह और मछलियों के द्वारा भयभीत करने वाले दावानल से युक्त समुद्र में विकराल
लहरों के शिखर पर स्थित है जहाज जिनका, ऐसे मनुष्य, आपके स्मरण मात्र से भय छोड़कर पार हो जाते हैं|
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