मन्दार-सुन्दर-नमेरु-सुपारिजात- सन्तानकदि-कुसुमोत्कर-वृष्टिरुद्धा| गन्धोद-बिन्दु-शुभ-मन्द-मरुत्प्रपाता दिव्या दिवः पतति ते वचसां
ततिर्वा|
अर्थात् :
सुगंधित जल बिन्दुओं और मन्द सुगन्धित वायु के साथ गिरने वाले श्रेष्ठ मनोहर मन्दार, सुन्दर, नमेरु, पारिजात, सन्तानक
आदि कल्पवृक्षों के पुष्पों की वर्षा आपके वचनों की पंक्तियों की तरह आकाश से होती है|
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