स्वर्गापवर्ग-गम-मार्ग-विमार्गणेष्टः सद्धर्म-तत्व-कथनैक-पटुस्त्रिलोक्याः| दिव्यःध्वनिर्भवति ते विशदार्थ-सर्व-
भाषा-स्वभाव-परिणाम-गुणैःप्रायोज्यः|
अर्थात् :
आपकी दिव्यध्वनि स्वर्ग और मोक्षमार्ग की खोज में साधक, तीन लोक के जीवों को समीचीन धर्म का कथन करने में समर्थ,
स्पष्ट अर्थ वाली, समस्त भाषाओं में परिवर्तित करने वाले स्वाभाविक गुण से सहित होती है|
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