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प्रमुख राजवंश और संस्थापक


▪️ हर्यक वंश                    - बिम्बिसार
▪️ नन्द वंश                      - महापदम नन्द
▪️ मौर्य साम्राज्य              - चन्द्रगुप्त मौर्य
▪️ गुप्त वंश                      - श्री गुप्त श्रीगुप्त
▪️ पाल वंश                      - गोपाल
▪️ पल्लव वंश                   - सिंहविष्णु
▪️ राष्ट्रकूट वंश                  - दन्तिदुर्ग
▪️ चालुक्य-वातापी वंश     - पुलकेशिन प्रथम
▪️ चालुक्य-कल्याणी वंश  - तैलप-द्वितीय
▪️ चोल वंश                      - विजयालय
▪️ सेन वंश                       - सामन्तसेन
▪️ गुर्जर प्रतिहार वंश         - हरिश्चंद्र/नागभट्ट
▪️ चौहान वंश                  - वासुदेव
▪️ चंदेल वंश                    - नन्नुक
▪️ गुलाम वंश                  - कुतुबुद्दीन ऐबक
▪️ ख़िलजी वंश     - जलालुद्दीन फिरोज ख़िलजी
▪️ तुगलक वंश                - गयासुद्दीन तुगलक
▪️ सैयद वंश                    - खिज्र खान
▪️ लोदी वंश                    - बहलोल लोदी
▪️ विजयनगर साम्राज्य     - हरिहर एवं बुक्का
▪️ बहमनी साम्राज्य          - हसन गंगू
▪️ मुगल वंश                    - बाबर

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तुलसीदास के दोहे मित्रता पर

जे न मित्र दुख होहिं दुखारी।तिन्हहि विलोकत पातक भारी। निज दुख गिरि सम रज करि जाना।मित्रक दुख रज मेरू समाना। अर्थ :  जो मित्र के दुख से दुखी नहीं होते उन्हें देखने से भी भा...

हिन्दू देवी देवताओं के नाम और काम

सनातन धर्म में अनेक देवताओं का उल्लेख है उन देवताओ को किसी नाम विशेष से जाना जाता है। देवताओं का यह नामकरण उनके कार्य और गुण-धर्म के आधार पर किया गया है। हम यहाँ कुछ प्रमुख देवताओं के विषय में जाकारी प्राप्त करेगें। ब्रह्मा 〰️〰️〰️ ब्रह्मा को जन्म देने वाला कहा गया है। विष्णु 〰️〰️ विष्णु को पालन करने वाला कहा गया है। महेश 〰️〰️〰️ महेश को संसार से ले जाने वाला कहा गया है। त्रिमूर्ति 〰️〰️〰️ भगवान ब्रह्मा-सरस्वती (सर्जन तथा ज्ञान), विष्णु-लक्ष्मी (पालन तथा साधन) और शिव-पार्वती (विसर्जन तथा शक्ति)। कार्य विभाजन अनुसार पत्नियां ही पतियों की शक्तियां हैं। इंद्र 〰️〰️ बारिश और विद्युत को संचालित करते हैं। प्रत्येक मन्वंतर में एक इंद्र हुए हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं- यज्न, विपस्चित, शीबि, विधु, मनोजव, पुरंदर, बाली, अद्भुत, शांति, विश, रितुधाम, देवास्पति और सुचि। अग्नि 〰️〰️〰️ अग्नि का दर्जा इन्द्र से दूसरे स्थान पर है। देवताओं को दी जाने वाली सभी आहूतियां अग्नि के द्वारा ही देवताओं को प्राप्त होती हैं। बहुत सी ऐसी आत्माएं है जिनका शरीर अग्निरूप में है, प्रकाश रूप में नहीं।देबकी गुरु सूर्य 〰️〰️〰️ ...

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अष्टादश पुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम् | परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् || अर्थात् : महर्षि वेदव्यास जी ने अठारह पुराणों में दो विशिष्ट बातें कही हैं | पहली –परोपकार करना प...