Skip to main content

महात्मा गांधी जीवन परिचय

 गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनेता एवं आध्यात्मिक नेता थे

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर गुजरात में हुआ था

संयुक्त राष्ट्र ने इनके जन्म दिवस को विश्व अहिंसा दिवस घोषित कर रखा है

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है

इनके पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी है

गांधी बचपन से ही बेहद शर्मिले थे वह स्कूल से भाग जाते थे ताकि उन्हें किसी से बात नहीं करनी पड़े

महात्मा गांधी को बापू, अहिंसा के पुजारी आदि नामों से भी जाना जाता है

महात्मा गांधी को महात्मा की उपाधि रविंद्र नाथ टैगोर ने दी और राष्ट्रपिता की उपाधि सुभाष चंद्र बोस ने

1930 में अमेरिका की टाइम मैगजीन ने इन्हें वर्ष का सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति का पुरस्कार दिया

गांधी अपने जीवन में कभी भी अमेरिका नहीं गए और ना ही एयरप्लेन में बैठे

गांधी जी अगर चाहते तो भगत सिंह को फांसी होने से रोक सकते थे पर उन्होंने कभी इस केस पर गंभीरता नहीं दिखाई

एक बार गांधीजी को टिकट होने के बावजूद एक अंग्रेज टिकट कलेक्टर ने काला होने के कारण इन्हें ट्रेन से धक्का देकर उतार दिया था

गांधीजी ने कानून की पढ़ाई खत्म कर इंग्लैंड में वकालत शुरु की जिसमें पूरी तरह असफल रहे पर दक्षिण अफ्रीका में सफल रहे

गांधीजी ने अपनी आत्मकथा गुजराती में लिखी है

हिटलर गांधी का अच्छा दोस्त था

गांधी स्वदेशी के बहुत कट्टर समर्थक थे

गांधी अपने पत्नी से अक्सर मारपीट करते थे

गांधीजी को फोटो खिंचवाना पसंद नहीं था पर आजादी की लड़ाई में एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिनकी सबसे ज्यादा फोटो खींची गई

गांधी को सम्मान देने के लिए एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स गोल चश्मे पहनते थे

गांधीजी को जीवन में पांच बार नोबल पुरस्कार के लिए नामित किया गया पर पुरस्कार मिला नही

एक बार गांधीजी का एक जूता चलती ट्रेन से नीचे गिर गया तो उन्होंने तुरंत दूसरा भी गिरा दिया ताकि जो पाए पहन सके

1931 की इंग्लैंड यात्रा के दौरान गांधी जी ने पहली बार रेडियो पर अमेरिका के लिए भाषण दिय

गाँधी जी ने स्वाधीनता आन्दोलन में अपने जीवन के 6 साल 5 महीने जेल में बिताये

गांधी जी का Civil Rights आंदोलन कुल 4 महाद्वीपो और 12 देशों तक पहुंचा

1999 में गांधीजी को टाइम मैगजीन द्वारा आइंस्टीन के बाद 19वीं सदी का दूसरा सबसे प्रभावशाली व्यक्ति चुना गया

गांधीजी अपनी नकली दांत अपने धोती में बांधकर रखते थे

गांधी जी के बेटे ने उन्हें छोड़कर इस्लाम धर्म अपना लिया था

गांधीजी के नाम पर भारत में 53 और पूरी दुनिया में 48 छोटे बड़े रोड है

30 जनवरी 1948 को दिल्ली में शाम 5:17 पर नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को गोली मारकर हत्या कर दी

गांधी जी का शव यात्रा 8 किलोमीटर लंबा था यह आजादी के बाद का सबसे बड़ा शव यात्रा था

 इनके शवयात्रा में करीब 10 लाख लोग साथ चल रहे थे और करीब 15 लाख लोग रास्ते में खड़े थे

 गांधीजी का जन्म शुक्रवार को हुआ था, भारत को शुक्रवार को स्वतंत्रता मिली और जिस दिन गांधी जी की हत्या हुई थी वह भी शुक्रवार का ही दिन था

गाँधी जी शुरू से ही निडर और साहसी नहीं थे

विकिपीडिया पर गाँधी जी की जीवनी 170 से भी अधिक भाषाओं में लिखी है, जो संभवतः किसी भी अन्य भारतीय की तुलना में कहीं अधिक है

गाँधी जी गाय या भैंस का नहीं बल्कि बकरी का दूध पीते थे

वह एक महान लेखक थे, उन्होंने 50,000 पृष्ठ से भी अधिक का लेखन कार्य किया

गाँधी जी समय के बहुत पाबंद थे वह अपनी डॉलर घड़ी हमेशा पास रखते थे

जिस दिन गांधी जी की हत्या हुई थी , वह प्रार्थना के लिए मीटिंग की वजह से 10 मिनट लेट हो गए थे

आज़ाद होने के बाद कुछ पत्रकारों ने जब गाँधी जी से अंग्रेजी में सवाल किया तब उन्होंने कहा, “मेरा देश अब आजाद हो गया है, अब मैं हमारी हिन्दी भाषा ही बोलूँगा

उन्होने भारत और South Africa में एक संपादक के तौर पर
हरीजन
Indian Opinion
युवा भारत (Young India)

सहित कई समाचार पत्रो का हिन्दी, अंग्रेजी और गुजराती भाषा में संपादन किया है

गाँधी जी की आत्मकथा का नाम है “सत्य के प्रयोग” है इसे 20वीं सदी की 100 सबसे आध्यात्मिक किताबों में जगह दी गई है

गांधीजी की आत्मकथा की किताब लगभग हर भाषा में छप चुकी है लेकिन मूल रूप में गाँधी जी ने इसे गुजराती में लिखा था

भारत की नोटों पर गाँधी जी का चित्र शुरू से नहीं था, 1996 में RBI ऐसे नोट चलन में लेकर आई

जब वह दक्षिण अफ्रीका  मे थे तब उनकी इनकम  1500 डॉलर प्रति वर्ष तक पहुँच गई थी जो उस समय के हिसाब से काफी अधिक थी, लेकिन गांधी जी इसका बड़ा हिस्सा दान कर दिया करते थे

गाँधी जी को भले ही शाँति में नोबेल पुरस्कार ना मिला हो, पर यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले पाँच नेता-
मार्टिन लुथर किंग
दलाई लामा
आंग सान सुई
नेलसन मंडेला
अर्जनटीना के अडोल्फो

यह सभी गाँधी जी के विचारों से प्रभावित थे और उनसे प्रेरणा लेते थे

2 अक्टूबर गांधी जयंती भारत का राष्ट्रीय पर्व है

गाँधी जी तेज क़दमों से चलते थे

अपनी मृत्यु से ठीक पहले उन्होंने कहा था – ‘हे राम‘

1930 में गाँधी जी अपने आश्रम से लगभग 400 किलोमीटर पैदल चले थे जिसे दांडी मार्च के रूप में याद किया जाता है

गाँधी जी की पत्नी कस्तूरबा उनसे एक साल बड़ी थीं

स्वतंत्रता दिवस पर नेहरु जी द्वारा दिया गया प्रसिद्द भाषण “Tryst With Destiny” पूरे देश ने सुना था पर गाँधी जी ने नहीं

जिस वाहन में 1948 में महात्मा गांधी को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया था वही वाहन सन 1997 में मदर टेरेसा की अंतिम यात्रा के लिए इस्तेमाल किया गया था

जिसके लिए उन्होंने लड़ाई लड़ी उसी ब्रिटेन ने उनके निधन के 21 साल बाद उनके नाम से डाक टिकट जारी किया

Comments

Popular posts from this blog

तुलसीदास के दोहे मित्रता पर

जे न मित्र दुख होहिं दुखारी।तिन्हहि विलोकत पातक भारी। निज दुख गिरि सम रज करि जाना।मित्रक दुख रज मेरू समाना। अर्थ :  जो मित्र के दुख से दुखी नहीं होते उन्हें देखने से भी भा...

हिन्दू देवी देवताओं के नाम और काम

सनातन धर्म में अनेक देवताओं का उल्लेख है उन देवताओ को किसी नाम विशेष से जाना जाता है। देवताओं का यह नामकरण उनके कार्य और गुण-धर्म के आधार पर किया गया है। हम यहाँ कुछ प्रमुख देवताओं के विषय में जाकारी प्राप्त करेगें। ब्रह्मा 〰️〰️〰️ ब्रह्मा को जन्म देने वाला कहा गया है। विष्णु 〰️〰️ विष्णु को पालन करने वाला कहा गया है। महेश 〰️〰️〰️ महेश को संसार से ले जाने वाला कहा गया है। त्रिमूर्ति 〰️〰️〰️ भगवान ब्रह्मा-सरस्वती (सर्जन तथा ज्ञान), विष्णु-लक्ष्मी (पालन तथा साधन) और शिव-पार्वती (विसर्जन तथा शक्ति)। कार्य विभाजन अनुसार पत्नियां ही पतियों की शक्तियां हैं। इंद्र 〰️〰️ बारिश और विद्युत को संचालित करते हैं। प्रत्येक मन्वंतर में एक इंद्र हुए हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं- यज्न, विपस्चित, शीबि, विधु, मनोजव, पुरंदर, बाली, अद्भुत, शांति, विश, रितुधाम, देवास्पति और सुचि। अग्नि 〰️〰️〰️ अग्नि का दर्जा इन्द्र से दूसरे स्थान पर है। देवताओं को दी जाने वाली सभी आहूतियां अग्नि के द्वारा ही देवताओं को प्राप्त होती हैं। बहुत सी ऐसी आत्माएं है जिनका शरीर अग्निरूप में है, प्रकाश रूप में नहीं।देबकी गुरु सूर्य 〰️〰️〰️ ...

अष्टादश पुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम्

अष्टादश पुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम् | परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् || अर्थात् : महर्षि वेदव्यास जी ने अठारह पुराणों में दो विशिष्ट बातें कही हैं | पहली –परोपकार करना प...